अगर आप नौकरी पेशा व्यक्ति हैं और आयकर भी दाखिल करते हैं तो इन्वेस्टमेंट प्रूफ के अलावा कंपनी से मिलने वाले अलाउंस पर भी टैक्स कटौती का लाभ पा सकते हैं। दरअसल अलाउंस (Allowance) यानी भत्ते एक तरह के वित्तीय लाभ की तरह होते हैं जो नौकरीपेशा कर्मचारी को अपने एम्पलॉयर से मिलते हैं। खास बात है कि ये टैक्स के बोझ को कम करने में भी मदद करते हैं। भत्तों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है और कर्मचारी हर महीने इन्हें क्लेम कर सकता है। ये भत्ते आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय मदद करते हैं।
टैक्सपेयर्स को हर साल आईटीआर दाखिल करना होता है, इसलिए 2023 की शुरुआत के साथ ही विभिन्न भत्तों और उनसे जुड़े टैक्स बेनेफिट को समझना महत्वपूर्ण है जो आईटीआर दाखिल करते समय काम आएंगे जो आगे आयकर देनदारी को कम करने में मदद करते हैं।
हम आपको बताते हैं आप कहां-कहां निवश कर टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं. आपको अपनी सैलरी स्लिप को ध्यान से देखने की जरूरत है. आपकी सैलरी स्लिप में ऐसे कई खर्च या निवेश होते हैं, जो Income Tax बचाने में मददगार हैं।
हम आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ खर्च या निवेश के बारे में:
1. मोबाइल या टेलीफोन रिम्बर्समेंट– अगर आपको नियोक्ता ऑफिस के काम के लिए मोबाइल, टेलीफोन या इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा दे रहा है तो आप Income Tax कानून के नियम 3(7)(ix) के तहत 100 फीसदी टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. इसके लिए आपको मोबाइल/टेलीफोन/इंटरनेट कनेक्शन का बिल पेश करना होगा।
2. लीव ट्रैवेल अलाउंस (LTA)– छुट्टियों पर जाने के दौरान नियोक्ता अपने इम्पलॉई को भत्ते के रूप में LTA देता है. LTA में आपके परिवार का यात्रा खर्च भी शामिल होता है. Income Tax कानून के सेक्शन 10 (5) के नियम 2B के तहत आप LTA पर टैक्स में राहत ले सकते हैं।
आपको LTA पर Income Tax बचाने के लिए यात्रा खर्च की रसीद देना जरूरी है. हर 4 वित्त वर्ष में दो बार आप LTA पर कर छूट ले सकते हैं. वित्त वर्ष का पिछला ब्लॉक 2014 से 2017 का था, जबकि अब 2018 से 2021 का चल रहा है।
3. एंटरटेनमेंट अलाउंस– यह अलाउंस केवल सरकारी इम्पलॉई को दिया जाता है. Income Tax कानून के सेक्शन 16(ii) के तहत 5,000 रुपये, सैलरी का पांचवा हिस्सा या वास्तविक एंटरटेनमेंट खर्च में से जो भी सबसे कम हो, उस पर यह टैक्स छूट मिलती है।
4. हाउस रेंट अलाउंस (HRA)– अगर आप जॉब के सिलसिले में अपने घर से अलग रहते हैं और उसके लिए किराया चुकाते हैं तो आपको वेतन में मिलने वाले HRA पर Income Tax कानून के तहत लाभ मिल सकता है. HRA आपकी बेसिक सैलरी का 40-50 फीसदी तक होता है।
Income Tax कानून के सेक्शन 10 (13A) के तहत आपको HRA पर छूट मिलती है. HRA पर Income Tax में छूट सैलरी का 40%, किराए में सैलरी का 10 फीसदी घटा कर, इसमें से जो भी कम होता है उस पर मिलती है।
5. बच्चों की पढ़ाई का अलाउंस– अगर आपका नियोक्ता यह बच्चे की पढ़ाई का अलाउंस दे रहा है तो आप आयकर में 100 रुपये प्रति महीने की छूट ले सकते हैं. Income Tax कानून के सेक्शन 10(14) के तहत आपको यह छूट मिलती है. यह छूट दो बच्चों के लिए ही दिया जाता है।
6. हॉस्टल में खर्च का अलाउंस– अगर आपका नियोक्ता यह भत्ता दे रहा है तो आप 300 रुपये प्रति महीने के हिसाब से अपने दो बच्चों के लिए टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
Income Tax कानून के सेक्शन 10(14) के तहत आपका यह खर्च आयकर से छूट के दायरे में आता है. इस अलाउंस के जरिए आप साल में 7200 रुपये की रकम पर टैक्स बचा सकते हैं।
7. यातायात भत्ता (Conveyance ReImbursement)– यह ट्रांसपोर्ट भत्ता आपको ऑफिस से जुड़े काम की वजह से यात्रा के खर्च के लिए दिया जाता है. वास्तव में इसकी कोई लिमिट नहीं होती. Income Tax कानून के सेक्शन 10 (14)(i) के तहत अगर आपको कन्वेंस रीइम्बर्स्मेंट के रूप में 20,000 रुपये महीने मिलते हैं तो आप अपने काम का जिक्र कर और उसके लिए बिल जमा कर इस पूरी रकम पर आयकर से छूट पा सकते हैं।
सैलरी इनकम पर टैक्स बचाने के लिए कटौती
किसी एक वित्त वर्ष में आप Income Tax कानून के सेक्शन 80C के तहत 1.50 लाख रुपये के निवेश पर कर छूट ले सकते हैं।
यह निवेश प्रॉविडेंट फंड, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), खुद के लिए, अपनी पत्नी और बच्चों के लिए लाइफ इंश्योरेंस खरीदने आदि के माध्यम से कर सकते हैं. आप दो बच्चों की स्कूल फीस पर भी इस सेक्शन में आयकर छूट पा सकते हैं।
आप नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) और किसी बैंक में पांच साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), टैक्स सेविंग Mutual Fund आदि खरीद कर भी इनकम टैक्स बचा सकते हैं।
सेक्शन 80CCD (1) के तहत आप NPS में निवेश कर 50,000 रुपये पर अलग से टैक्स बचा सकते हैं. अगर आप खुद के या अपनी पत्नी और बच्चों के लिए सालाना 25,000 रुपये की हेल्थ पॉलिसी लेते हैं तो सेक्शन 80D के तहत आप इसमें Income Tax छूट पा कर सकते हैं।
आप अपने माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेकर 25,000 रुपये तक के प्रीमियम भुगतान पर अलग से कर छूट पा सकते हैं।
सेक्शन 80 DD के तहत अपने आश्रित (पत्नी, माता पिता, बच्चे या भाई-बहन) के लिए 75000 रुपये के मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट ले सकते हैं. गंभीर विकलांगता की स्थिति में टैक्स छूट की यह लिमिट 1,25,000 रुपये है।
सेक्शन 80DDB के तहत 60 वर्ष से कम की आयु का व्यक्ति किसी विशेष बीमारी के इलाज के लिए 40,000 रुपये के खर्च पर कर छूट का दावा कर सकता है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 60,000 रुपये और अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 80,000 रुपये है।
सेक्शन 80E के तहत खुद, पत्नी या बच्चे की पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
सेक्शन 24B के तहत होम लोन की EMI में शामिल ब्याज पर टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है. अगर आप प्रॉपर्टी में खुद रहते हैं तो इसकी लिमिट 2 लाख रुपये सालाना है।
सेक्शन 80G– किसी भी अप्रूव्ड फंड, ट्रस्ट, धार्मिक स्थल की मरम्मत आदि के लिए दान देने पर इस सेक्शन के तहत आयकर में छूट मिलती है।
सेक्शन 80GG– अगर आपको सैलरी में HRA नहीं मिलता लेकिन आप किराये पर रहते हैं तो आप इस सेक्शन के तहत Income Tax में छूट का लाभ ले सकते हैं।
सेक्शन 87A– अगर आपकी कुल आय 5 लाख रुपये से कम है तो आप इनकम टैक्स कानून के इस सेक्शन के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं।
सेक्शन 80 TTA– इसके तहत आप अपने सेविंग बैंक, पोस्ट ऑफिस आदि पर मिलने वाले 10,000 रुपये तक के ब्याज पर Income Tax में छूट का दावा कर सकते हैं।
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