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हार्वर्ड की विदेशी छात्रों के दाखिले की पात्रता रद्द, भारत समेत कई देशों के विद्यार्थियों पर असर

न्यूयॉर्क।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की पात्रता को रद्द कर दिया है जिससे विश्वविद्यालय में वर्तमान में पंजीकृत लगभग 788 भारतीय छात्रों समेत हजारों छात्रों की कानूनी स्थिति को लेकर चिंता उत्पन्न हो गई है।

अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार देर रात होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) को हार्वर्ड के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) का सर्टिफिकेशन तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दिया।विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन देने की योग्यता वापस पाने के लिए हार्वर्ड को 72 घंटों में मौजूदा बाहरी स्टूडेंट्स की जानकारी देनी होगी। अभी यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे सभी विदेशी छात्रों को दूसरे संस्थानों में ट्रांसफर लेने के लिए कहा गया है। नहीं तो उन्हें देश छोड़ना पड़ सकता है।

बीते कुछ दिनों से हार्वर्ड और सरकार के बीच विदेशी छात्रों से जुड़े रिकॉर्ड को लेकर खींचतान चल रही थी। DHS ने अप्रैल में कहा था कि अगर हार्वर्ड ने 30 अप्रैल तक विदेशी स्टूडेंट्स के अवैध और हिंसक मामलों का पूरा रिकॉर्ड नहीं दिया, तो उसका SEVP सर्टिफिकेशन छीन लिया जाएगा। यूनिवर्सिटी ने जो रिकॉर्ड दिया था, उससे प्रशासन संतुष्ट नहीं है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लगभग 27% बाहरी छात्र हैं। वहां अभी लगभग 6,800 विदेशी स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। इनमें भारत के 788 छात्र हैं। ज्यादातर स्टूडेंट्स F-1 या J-1 वीजा पर हैं। F-1 वीजा अमेरिकी शैक्षणिक संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों के लिए है, जबकि जे वीजा स्कॉलर्स, रिसर्चर्स सहित एक्सचेंज विजिटर्स के लिए है।

रोक की वजह क्या है?

कुछ समय से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और DHS के बीच विदेशी छात्रों के रिकॉर्ड को लेकर खींचतान चल रही थी।  DHS ने यूनिवर्सिटी को 30 अप्रैल तक समय दिया था कि वह विदेशी छात्रों के किसी भी अवैध या आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड जमा कराए।  यूनिवर्सिटी ने कुछ जानकारी दी, लेकिन प्रशासन उसे अधूरा और असंतोषजनक मान रहा है  ।

SEVP रद्द होने का मतलब

DHS अमेरिका में पढ़ने आए विदेशी छात्रों के लिए SEVP का संचालन करता है।  इसके तहत कॉलेजों को छात्रों के लिए वीज़ा संबंधी कागज़ात जारी करने की अनुमति मिलती है। यदि कोई यूनिवर्सिटी इस सर्टिफिकेशन को खो देती है, तो वह नए विदेशी छात्रों को वीज़ा के लिए जरूरी I-20 फॉर्म नहीं दे सकती।  इसका सीधा असर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और वैश्विक छात्र समुदाय पर होता है।

अब आगे क्या?

यदि हार्वर्ड अगले कुछ दिनों में DHS की शर्तों को पूरा नहीं करता, तो मौजूदा विदेशी छात्रों को दूसरे संस्थानों में ट्रांसफर कराना पड़ेगा या उन्हें अमेरिका छोड़ना होगा. इस फैसले ने हजारों छात्रों के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है और अमेरिका की शिक्षा नीति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

nobleexpress

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