मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश सिर्फ टाइगर और लेपर्ड स्टेट ही नहीं अब चीता स्टेट भी है। अफ्रीका से आये चीतों को मध्यप्रदेश की जलवायु रास आ गई है। प्रदेश के वन, चीतों के कारण पर्यटन की दृष्टि से आकर्षण का केंद्र बनेंगे। ईको टूरिज्म की बात हो या वन औषधियों का महत्व हो, मध्यप्रदेश की अपनी अलग पहचान है। प्रदेश के वनों में वन औषधियों का प्रमुखता से उत्पादन होता है। इनसे अनेक रोग ठीक होते हैं। इस चिकित्सा पद्धति के दुष्प्रभाव भी कम हैं। इनका कोई तोड़ नहीं है। कोरोना काल में वन औषधियों से निर्मित काढ़ा ही काम आया था। मध्यप्रदेश का काढ़ा अन्य प्रदेशों के लोगों के भी काम आया।
शिवराज चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में वनोपज से स्थानीय वनवासियों को लाभ दिलवाने की पुख्ता व्यवस्था की गई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित होने से तेंदूपत्ता संग्राहकों को हानि नहीं होती। पेसा एक्ट में वनवासी क्षेत्र की पंचायतों को अधिकार दिए गए हैं। तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य पेसा विकासखण्डों में पंचायतों के माध्यम से हो सकेगा। वर्ष 2017 और 2018 में तेंदूपत्ता श्रमिकों को पानी की कुप्पी, साड़ी और चप्पल आदि सामग्री प्रदाय की गई थी। वर्ष 2019 में तत्कालीन सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को ये सुविधाएँ देना बंद कर दी। इसके बाद कोरोना काल में व्यवस्थाएँ प्रभावित हुईं। राज्य सरकार इस वर्ष से 40 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को यह सामग्री फिर से प्रदान करेगी। जनजातीय बंधु और अन्य वनवासी बंधुओं का हित सुनिश्चित किया जाएगा। चिरौंजी का समर्थन मूल्य भी तय किया जाएगा, जिससे वनवासियों को पूरा लाभ मिल सके। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वनवासी क्षेत्र के लोगों के हित में निरंतर कल्याणकारी निर्णय लिए जाने की बात भी कही।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लघु वनोपज समिति प्रबंधकों की भूमिका महत्वपूर्ण और सराहनीय है। इनका मानदेय वर्ष 2016 में 5 हजार रूपए था, जो 6 हजार रूपए किया गया था। इसे बढ़ा कर 10 हजार रूपए तक लाने का कार्य हुआ। अब इसमें पुन: वृद्धि कर 13 हजार रूपए मासिक किया जाएगा। प्रदेश में समिति प्रबंधकों की संख्या 1071 है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वन मेले में समस्त प्रतिभागियों का स्वागत किया और वन विभाग एवं मध्यप्रदेश लघु वनोपज सहकारी संघ की टीम को अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के लिए बधाई दी। मुख्यमंत्री ने वन मेला परिसर में विभिन्न स्टालों का निरीक्षण किया और स्टाल संचालकों से उत्पादों की जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में ईएमएफपी सॉफ्टवेयर का शुभारंभ भी किया।
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