राष्ट्रीय सेवा योजना को शिक्षा के रूप में शुरुआत की – डॉ रामाश्रय रत्नेश

डॉ रामाश्रय रत्नेश  का जन्म – 7 नवम्बर 1941 में हुआ । मूलत: मध्य प्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग में स्नातकोत्तर प्राचार्य के पद से सन 2003 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस सेवा के दौरान मंत्रालयीन सेवा में उच्च शिक्षा तथा खेल एवं युवक कल्याण विभाग के अपर सचिव के पद पर भी रहे। डॉ रत्नेश ने अपनी शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय और जीवाजी विश्वविद्यालय से प्राप्त की। नाटकों में रुचि होने के कारण इन्होंने अपनी हिंदी साहित्य में पीएचडी की उपाधि हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से हिंदी नाटकों में राष्ट्रीय नैतिक चेतना विषय पर की।

साहित्यिक अभिरुचि के कारण समय समय पर समीक्षाएं, कविताएं और कहानियां भी लिखते रहें जो नवनीत, साप्ताहिक हिंदुस्तान जैसी पत्रिकाओं में छपती रही। इनके लेखन का मुख्य क्षेत्र समालोचना रहा है। इसीलिए नाटक नाटककार, मोनोग्राफ तथा गांधीजी के सत्याग्रह आदि विषयों पर 5 पुस्तकें और संस्कृत में एमए होने के कारण पंडित विश्वनाथ कविराज की जीवनी पर भी एक समीक्षाग्रंथ की रचना की। हिंदी पत्रकारिता की शब्द संपदा पर प्रसिद्ध शब्दकोषकार बद्रीनाथ कपूर और डॉक्टर शिव कुमार अवस्थी के साथ मिलकर एक ऐसे शब्दकोश की रचना की, जिसमें हिंदी के प्रायः विलुप्त शब्द, मुहावरे और कहावतों को संग्रह कर सप्रमाण उनके अर्थ की अभिव्यक्ति है। इनको नाटकों के प्रति विशेष अभिरुचि रही है इसलिए उन्होंने दो नाटकों की रचना की है। स्वयं अभिनय करते रहे हैं और महाविद्यालय के छात्रों के साथ मिलकर अनेक नाटकों का मंचन और निर्देशन करते रहे हैं।

राष्ट्रीय सेवा योजना का शिक्षा के रूप में शुरुआत

डॉ रत्नेश को सामाजिक जागरूकता से लगाव होने के कारण अनेक सामाजिक विकास के कार्य भी किए। इन्हें देश और प्रदेश में राष्ट्रीय सेवा योजना की गतिविधियों के कारण जाना जाता है। राष्ट्रीय सेवा योजना को शिक्षा के रूप में शुरुआत की।

लेखन प्रकाशन –

  • अनेक पत्र पत्रिकाओं में लेख, कहानियाँ, कविताएँ
  • स्वातंत्र्योत्तर हिंदी नाटकों में राष्ट्रीय नैतिक चेतना का विकास
  • पंडित लक्ष्मीनारायण मिश्र के नाटक
  • पंडित विश्वनाथ कविराज – एक जीवनी (संस्कृत)
  • पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी मोनोग्राफ
  • गाँधी जी के सत्याग्रह
  • हिंदी शब्द-सम्पदा कोष (सहायक लेखन)

पर्यावरणीय कार्य

1. भोपाल विश्वविद्यालय परिसर में 42000 पौधों का आरोपण छात्रों के सहयोग से
2. म प्र के महाविद्यालयों / विद्यालयों में रासेयो बाटिका बनाने में सहयोग
3. पूरे मप्र के रासेयो छात्रों तथा बाबा आम्टे के पुत्र विकास आम्टे के साथ एक सप्ताह तक वृक्ष गंगा साइकिल रैली का आयोजन
4 पर्यावरण की स्वच्छता को ले कर अनेकों रैलियाँ
5. इंदौर के निकट ग्रामों में 5 वर्ष तक वाटर शेड योजना के लिए सतत शिविरों का आयोजन

सम्मान –

ये अकेले ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें एतदर्थ भारत सरकार ने राज्य संपर्क अधिकारी के रूप में सम्मानित किया है।

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