सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोटबंदी (demonetisation) को लेकर सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। सुको ने इससे जुड़ी 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकार ने सभी नियमों का पालन किया है। छह महीने तक सरकार और आरबीआई के बीच इस मसले को लेकर बातचीत हुई और इसके बाद फैसला लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद ये साफ है कि सरकार ने ये फैसला अचानक से नहीं लिया था। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार के बीच सभी प्रकियाओं का पालन किया गया था। सरकार ने इसे साबित करने के लिए कोर्ट में कई दस्तावेज भी पेश किए हैं। इन छह महीनों के दौरान कई दौर की बातचीत के बाद सामूहिक तौर पर लिया गया था। हालांकि, अभी भी कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब कोर्ट की इस सुनवाई में नहीं मिल पाई।
जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक और याचिकाकतार्ओं की दलीलों को विस्तार से सुनने के बाद पिछले सात दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
केंद्र सरकार ने साल 2016 में आठ नवंबर की रात 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद राष्ट्र के नाम संबोधन में इसका एलान किया था। सरकार के इस एलान के बाद देशभर के बैंकों, एटीएम पर लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई दिखी थीं। लोगों ने पुराने नोट बदलकर नए नोट हासिल करने के लिए काफी जद्दोजहद की थी।
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