भोपाल । राजधानी के यासिर खान के साथ हैदराबाद के जिस प्रोफेसर सलीम खान को अंतर्राष्ट्रीय कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) का भारत में मास्टरमाइंड माना जाता है वह बैरसिया का रहने वाला सौरभ जैन है। मोहम्मद सलीम पहले हिंदू था। सलीम पहले सौरभ राजवैद्य के नाम से पहचाना जाता था। लेकिन भारत में प्रतिबंधित किए गए कट्टरपंथी जाकिर नाईक और डॉ. कमाल जैसे कुछ कट्टरपंथियों के संपर्क में आने से वह हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल कर लिया और उसके बाद सौरभ राजवैद्य जैसे ही मोहम्मद सलीम बना, वह कट्टरपंथियों के लिए काम करने लगा। सौरभ के माता-पिता व अन्य परिजन अभी भी बैरसिया में रहते हैं। प्रो. सलीम खान के पिता ने मीडिया के सामने सनसनीखेज खुलासे किए हैं।
प्रो.सलीम के पिता डॉ. अशोक जैन और मां वसंती जैन का आरोप है कि मेरा बेटा हैदराबाद में पढ़ाई करने गया था, हमें क्या मालूम कि वहां उसे आतंकवादी बना दिया जाएगा। पिता का आरोप है कि उनके बेटे सौरभ को मध्य प्रदेश एटीएस द्वारा हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया। डॉ. कमाल ने कट्टर बनाकर मुस्लिम बनाया। सौरभ की मां और पिता ने मीडिया कोबताया कि जब वह टीआईटी कॉलेज में गया तो वहां पर डॉ कलाम नाम के एक शख्स ने उसे पहले तो धर्म के बारे में बताना शुरू किया । उनका बेटा डॉ. कमाल के संपर्क में पढ़ाई के दौरान आया, इसके बाद कमाल उसे प्रो. जाकिर नाइक की तहरीरें सुनाता था। कट्टरपंथी साहित्य पढ़ाता था। 2010 में वो सीरिया जाना चाहता था।
सौरभ के पिता ने मीडिया को बताया कि वर्ष 2010-11 में जाकिर नायक का बहुत करीबी व्यक्ति भोपाल आया था। उस व्यक्ति का मेरे बेटे और बहू ने कुछ मुस्लिम युवकों के साथ मिलकर बहुत स्वागत सत्कार किया था। इसके बाद दोनों पति-पत्नी को उस व्यक्ति ने कुछ पढ़वाया और कहा कि अब तुम दोनों मुस्लिम हो गए। मैंने बेटे को समझाया तो उसने सामंजस्य बनाने की नसीहत दी। इसके बाद ही परिवार वालों की उससे दूरी बढ़ती चली गई। 2014 में मैंने उसे घर से निकाल दिया।
सौरभ जैन जो अबहिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) का मास्टरमाइंड आतंकी प्रो. सलीम खान है, के पिता ने कहा कि वर्ष 2014 में जब वह वापस यहां आया और विचारधारा को लेकर हमारा उसका टकराव होने लगा। इसी टकराव होने के कारण मैंने उसे घर से निकाल दिया। वह अपनी पत्नी के साथ वापस हैदराबाद चला गया और वहां स्थाई निवास बना लिया। इसके बाद से ही वह संभव है कि आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हुआ हो।
सौरभ के पिता ने बताया कि हमारे बेटे और बहू का छिंदवाडा के रहने वाले किसी डॉक्टर कमाल नाम के व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन कराया है। सौरभ डी. फार्मा पास था। इसके बाद वह पता नहीं, वह कब सौरभ को छोड़कर सलीम लिखने लगा। 2011 में धर्म परिवर्तन के बाद सौरभ घर में रखी मूर्तियां हटाने लगा तो उसकी मां से उसका विवाद हुआ। इसके बाद वह समझाइश पर शांत हो जाता, लेकिन मौका पाते ही वह हिंदू धर्मग्रंथों और भगवान की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाता, उन्हें खंडित कर देता था।
सौरभ के पिता ने बताया कि 2014 में मेरी बहू हैदराबाद से आई तो बुर्का पहने हुई थी। पहली बार मैंने बहू का बुर्का पहने हुए देखा तब पूरा विश्वास हो गया कि इसने धर्म बदल लिया है। इसके बाद मैंने फैसला किया कि बेटे-बहू से संबंध तोड़ लिया जाए और मैंने दोनों को तत्काल घर से निकाल दिया। सौरभ घर का इकलौता बेटा था। उसकी चार बहनें हैं। 2014 के बाद बहनों ने भी सौरभ से रिश्ता खत्म कर लिया, रक्षाबंधन के दिन भी वे उसे फोन नहीं करतीं।
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