राजयोगिनी बीके डॉक्टर रीना दीदी ने उपस्थित सैकड़ों की संख्या में भाई बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि होली पर सभी बड़े छोटे के भान को भूल आपस में एक समान समझ मस्ती में खेलते हैं, दुश्मनी के संस्कार भूल मंगल मिलन मनाते हैं। होली अर्थात शुभ भावना एवं शुभकामना के स्टेज पर स्थित होना है। परमात्मा शिव के संग के रंग में रंगकर जीवन जिएंगे तो हमारा जीवन सदा ही खुशहाल एवं तनाव मुक्त रहेगा। ईश्वरीय याद में रह किसी भी प्रकार की नकारात्मक विचारों को बुराइयों को भूल कर पवित्र शुद्ध स्नेह स्मृति इसी का यादगार हर वर्ष होली उत्सव के रूप में मनाते हैं।
ब्रम्हाकुमारी सेवा केंद्र में होली का पावन त्यौहार बड़े ही उमंग उत्साह एवं जोर शोर से मनाया गया उपस्थित सभी भाई बहनों को रंग बिरंगी टोपी पहना कर सभी को गुलाल रंग का तिलक लगाकर मुख मीठा कराया गया।
बीके डॉ. रीना दीदी ने कहा कि “हो ली” अर्थात् जो कुछ हुआ वह हो गया, हो लिया। जो सीन हुई हो ली अर्थात् बीत गई, बीती को बीती करने के लिए सदा कल्याण की ढाल को उपयोग करना चाहिए। होली का रंग पक्का तभी लगता है जब हर वक्त याद रहता है कि होली, जो बीता हो गया। हमें जीवन की कोई भी सीन देखते क्यों, क्या, कैसे, कहां, कब इन प्रश्नों में उलझना नहीं है। सदा सकारात्मक शुद्ध विचार रख मंथन कर अपनी होलीएस्ट और हाइएस्ट स्टेज की इस स्थिति में स्थित रहना ही सही मायने में होली त्योहार मनाना है।
ब्रह्माकुमार रावेंद्र भाई जी ने उपस्थित सैकड़ों की संख्या में जन समूह को होली का आध्यात्मिक रहस्य समझाते हुए कहा कि होली प्रभु के रंग में रंगने का त्यौहार है।