राजधानी में कड़ाके की ठंठ के बीच करणी सेना का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा अपनी 21 सूत्र मांगों को लेकर राजधानी भोपाल में शक्ति प्रदर्शन कर रही करणी सेना परिवार दूसरे दिन भी जंबूरी मैदान पर नजर आया। हालांकि, बीती रात ठंड तेज होने की वजह से जंबूरी मैदान में लगभग 50 लोग ही रुके थे। लेकिन, सुबह होते ही मैदान में फिर से आंदोलनकारियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था । इस शक्ति प्रदर्शन में मध्यप्रदेश सहित चार राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के राजपूत भी शामिल हैं। सोमवार की दोपहर को जंबूरी मैदान से एमपी नगर जा रहे करणी सेना के पदाधिकारी और कार्यकताओं को भेल चौराहे पर पुलिस ने रास्ते में ही रोक दिया। प्रदर्शनकारी नारेबाजी कर रहे हैं। प्रदर्शन को रोक देने के बाद करणी सेना एवं सर्व समाज ने हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया है। साथ ही संगठन के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर धरने के दौरान उन्हें कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। प्रदर्शनकारियों को रोकने के दौरान पुलिस कर्मियों से बहस भी हुई।
जानकारी के अनुसार जंबूरी मैदान से करनी सेना परिवार के लोग एमपी नगर चौराहे पर लगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए निकले थे। जैसे ही जंबूरी से एमपी नगर की तरफ बढ़े उन्हें अगले ही चौराहे पर पिपलानी पुलिस ने रोक लिया। करणी सेना के लोग एमपी नगर में प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद बोर्ड आॅफिस चौराहे पर बने स्मार्ट सिटी के शेड में ही डेरा जमाने का प्लान कर रहे थे।
करणी सेना परिवार के किसी भी सदस्य को कुछ होता है तो सरकार जिम्मेदार : शेरपुर
प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। प्रदर्शनकारियों को रोकने के दौरान पुलिस कर्मियों से बहस भी हुई है। इसके बाद मध्य प्रदेश करणी सेना के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने कहा है कि अगर धरने के दौरान उन्हें या करणी सेना परिवार के किसी भी सदस्य को कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
एडिशनल डीसीपी बोले-एक दिन की अनुमति थी
एडिशनल डीसीपी राजेश भदौरिया ने करणी सेना परिवार को समझाया है कि प्रॉपर अनुमति लेकर प्रदर्शन करें। अभी एक दिवसीय कार्यक्रम की अनुमति थी। जो अनुमति थी वो कल खत्म हो चुकी है। आज की अनुमति नहीं है। इस तरीके से 400-500 लोगों को लेकर धरना गलत है। स्कूली बच्चों, यातायात और एम्बुलेंस को समस्या हो रही है। रास्ते में काफी स्कूल और हॉस्पिटल हैं, जिसके लिए इन्हें यहां रोका गया है। यदि इनका प्रतिनिधि मंडल जाना चाहे तो महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर जा सकता है।
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सीएम ने दिया था बयान तब भड़का था आंदोलन
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री 12 जून 2016 को अनुसूचित जाति, जनजाति के कर्मचारी-अधिकारियों के सम्मेलन में पहुंचे थे। तब विधान सभा चुनाव 2018 को करीब डेढ़ साल का वक्त था। सभा में मुख्यमंत्री ने कहा था कि मेरे होते हुए आरक्षण को कोई भी माई का लाल खत्म नहीं कर सकता, आरक्षण जारी रहेगा, प्रमोशन में भी मध्य प्रदेश सरकार आरक्षण देगी, संविदा भर्तियों में भी आरक्षण दिया जाएगा। शिवराज जब यह बयान दे रहे थे, तब सवर्ण वर्ग के लोग जातिगत के बजाय आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत कर रहे थे। ‘माई का लाल’ वाला बयान सुनकर वे भड़क गए थे। तब सड़कों पर प्रदर्शन किये गए थे। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में यह आंदोलन सबसे ज्यादा फैला था।
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