जेल में आपके बंदी को ऐश और आराम चाहिए तो साहब से मिलें बंदी को कि सी प्रकार की समस्या नही होगी यह अभी तक तो हमने सिर्फ फिल्म में ही देखा और सुना था लेकिन असल जिंदगी में भी जेल के अंदर बंदियों को परेशान नहीं करने की फीस लगती है, लोग कहते है ना कि जेल हो भी गई तो क्या होगा दो रोटी तो आराम से मिल ही जाएंगी ये कभी नहीं सोचें कि जेल में जिदंगी सुख से कटेगी, मध्यप्रदेश में एक मामला सामने आया जब खुद सहायक जेल अधीक्षक को लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों धर दबोचा। सूत्रों के अनुसार भोपाल लोकायुक्त की टीम ने शिकायत मिलने पर सहायक जेल अधीक्षक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है, वे जेल में बंद बंदियों को प्रताड़ित नहीं करने और रिश्तेदारों से समय समय पर मिलवाने के लिए प्रत्येक बंदी से 20-20 हजार रुपए की रिश्वत फीस के रूप में वसूलते हैं। ऐसे में एक ने लोकायुक्त से उक्त मामले की शिकायत की, जिसकी जांच करने के बाद लोकायुक्त की टीम ने रंगे हाथों आरोपी सहायक जेल अधीक्षक को पकड़ा है। ये कार्रवाई लोकायुक्त की टीम ने जेल परिसर में स्थित सरकारी आवास में की है। इस मामले में लोकायुक्त पुलिस को भी काफी मेहनत करनी पड़ी लेकिन जिस तरह से डीएसपी सलील शर्मा ने कार्रवाई की उससे लोकायुक्त पुलिस की छापामार कार्रवाई सफल हो गई।
जानकारी के अनुसार 5 जनवरी को अर्जुन पावर निवासी बजरंगकुटी नसरुल्लागंज ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त भोपाल को शिकायती आवेदन दिया कि सहायक जेल अधीक्षक महावीर सिंह बघेल नसरुल्लागंज जेल में बंद आवेदक के साले रामनिवास उर्फ भूरा एवं अन्य चार लोगों को प्रताड़ित न करने व उनसे मुलकात करवाने व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के एवज में प्रत्येक से 20-20हजार रु की रिश्वत राशि की मांग की गई थी। शिकायत सत्यापन उपरांत पाया गया कि महावीर सिंह बघेल की छवि एक भ्रष्ट अधिकारी की है, एवं उसकी रिश्वत संबंधी शिकायत सही पाए जाने पर, पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त भोपाल के निर्देशन में कल रात डीएसपी सलिल शर्मा के नेतृत्व में ट्रेपकर्ता अधिकारी निरीक्षक घनश्याम सिंह मर्सकोले, निरीक्षक आशीष भट्टाचार्य, निरीक्षक मयूरी गौर की टीम ने द्वारा योजनाबद्ध तरीके से आरोपी सहायक जेल अधीक्षक महावीर सिंह बघेल को उनके जेल परिसर के समीप स्थित शासकीय आवास पर जेल प्रहरियों व द्वारपाल को चकमा देकर कुशलतापूर्वक 20,000 रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।
जानकार सूत्रों के अनुसार लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करने के लिए गोपनीय कार्य योजना तैयार की थी बताया गया है कि लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई का कोड वर्ड मिठाई का डब्बा था जैसे ही यह शब्द उपयोग में लाए गए छापामार कार्रवाई शुरू हो गई।
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