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आरबीआई ने फिर दिया जनता को झटका, एक साल में रेपो रेट में 6वीं बार हुआ इजाफा

RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने बुधवार को वित्तवर्ष 2022-23 के अंतिम एमपीसी मीटिंग को समापन करते हुए बड़ा ऐलान कर रेपो रेट में 0.25% का इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 6.25% से बढ़कर 6.50% हो गया है। यानी होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा हो जाएगा और आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी। एक ही साल में 6वीं बार रेपो दरों में वृद्धि की है। मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक में 6 लोग शामिल हुए हैं, जिसमें से 4 ने रेपो रेट में इजाफे को सपोर्ट किया। अब तक कुल 2.50 फीसदी की वृद्धि दरों में हो चुकी है। हालांकि FD पर अब ज्यादा ब्याज दरें मिलेंगी। इससे पहले दिसंबर में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 5.90% से बढ़कर 6.25% किया गया था।

लोन होगा महंगा

रेपो रेट में वृद्धि के साथ ही लोन की ब्याज दरों में भी इजाफा होगा। साथ ही ईएमआई का बोझ भी बढ़ेगा। कार लोन से लेकर होम लोन महंगा हो जाएगा। नई दरों की घोषणा होने से पहले ही विशेषज्ञ रेपो द्वारा दरों में 25 बेसिस पॉइंट इजाफा होने का अंदाजा लगा रहे थे। तीन दिनों की MPC मीटिंग के बाद केन्द्रीय बैंक ने यह घोषणा कर दी है। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में ब्याज दरों में 0.35 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई थी। जिसके बाद नई दरें 5.90 फीसदी से बढ़कर 6.25 हो गई थी।


क्या पहले से चल रहे लोन पर भी बढ़ेगी EMI ?

लोन की ब्याज दरें (फिक्स्ड और फ्लोटर) 2 तरह से होती हैं। फिक्स्ड में आपके लोन कि ब्याज दर शुरू से आखिर तक एक जैसी 14 % रहती है। इस पर रेपो रेट में बदलाव का कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं फ्लोटर में रेपो रेट में बदलाव का आपके लोन की ब्याज दर पर भी फर्क पड़ता है। ऐसे में अगर आपने फ्लोटर ब्याज दर पर लोन लिया है तो EMI भी बढ़ जाएगी।

RBI रेपो रेट क्यों बढ़ाता या घटाता है?

RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देंगे। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होगा। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आएगी और महंगाई घटेगी।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। इस उदाहरण से समझते है। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थी तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में RBI ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।

 

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