नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार की जमकर फटकार लगाई है, कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में सिलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करना न्याय और उसके सिद्धांतों के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम समाचार चैनल Media One पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रसारण प्रतिबंध के खिलाफ फैसला सुनाया। मीडिया वन चैनल को सुरक्षा मंजूरी के अभाव में प्रसारण लाइसेंस को नवीनीकृत करने से इनकार करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम चैनल को चार सप्ताह के अंदर नवीनीकृत लाइसेंस देने को कहा है। मीडिया वन ने केरल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। केरल हाई कोर्ट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें सुरक्षा कारणों से लाइसेंस रद्द करने की बात कही गई थी। सीजेआई डीवाई चंत्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि मीडिया संगठन को इस तरह से लाइसेंस देने से मना नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेश तक नया लाइसेंस जारी रहे। इसके अलावा उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता पर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज के कामकाज के लिए प्रेस का स्वतंत्र होना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट का इस तरह के विरोध नहीं किया जा सकता। यह लोगों के अधिकार से जुड़ी बात होती है। देश की सुरक्षा का हवाला देकर लोगों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने मीडिया को भी नसीहत देते हुए कहा कि प्रेस की जिम्मेदारी बनती है कि वो सच को सामने रखे। लोकतंत्र मजबूत रहे इसके लिए मीडिया का स्वतंत्र रहना जरूरी है। उससे ये उम्मीद नहीं की जाती है कि वो सिर्फ सरकार का पक्ष रखे।
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