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Wrestlers Protest: पहलवानों का ऐलान- आज गंगा में बहाएंगे अपने मेडल, इंडिया गेट पर करेंगे आमरण अनशन

नई दिल्ली:  भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना देने वाले पहलवान मंगलवार शाम 6 बजे हरिद्वार में अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करेंगे। ये पहलवान रेसलिंग फेडरेशन (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी के लिए जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे। रविवार को पुलिस से हुई झड़प के बाद ये जंतर-मंतर से लौट आए हैं।  पहलवानों ने 30 मई को एक बड़ा फैसला लिया है। इन पहलवानों ने अपने सभी मेडल हरिद्वार जाकर गंगा नदी में प्रवाहित करने का निर्णय लिया है। पहलवानों का कहना है कि वे मंगलवार को शाम 6 बजे अपने अब तक के सभी पदकों और मेडलों को गंगा नदी में प्रवाहित कर देंगे। बता दें कि यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ ये पहलवान कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।

यौन उत्पीड़न के लिए न्याय माँगकर कोई अपराध कर दिया

क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय माँगकर कोई अपराध कर दिया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फब्तियां कस रहा है। टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है। यहाँ तक कि पास्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है।

देश में हमारा कुछ नहीं बचा

पहलवानों ने पत्र में आरोप लगाया कि पुलिस और तंत्र उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है।उन्होंने लिखा, “महिला पहलवान अंदर से महसूस कर रही हैं कि देश में हमारा कुछ नहीं बचा है। हम वो पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे। क्या इसलिए मेडल जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे? हमें सड़कों पर घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे।”

“हमारे गले में सजे मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया”

पहलवानों ने पत्र में लिखा, “कल पूरा दिन महिला पहलवान खेतों में छिपती रही। तंत्र को उत्पीड़क को पकड़ता चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं का धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है।”उन्होंने लिखा, “अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना।”

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने भी नहीं ली हमारी सुध

पहलवानों ने कहा, “वह मेडल किसे लौटाते? हमारी राष्ट्रपति, जो खुद एक महिला हैं, वह भी इस पूरे मामले को चुप बैठी देखती रहीं, लेकिन कुछ बोली नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते हैं, उन्होंने भी हमारी कोई सुध नहीं ली।”उनका आरोप है कि नई संसद भवन के उद्घाटन में उत्पीड़क को आमंत्रित किया गया और वह सफेद चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवाकर उन्हें चिढ़ा रहा था कि वो ही तंत्र है।

 

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